चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥ अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥ जो यह https://shivchalisas.com