श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥ In the event the download backlink provided within the publish (सम्पूर्ण शिव चालीसा बुरी आदतें बाद मे और बड़ी हो जाती हैं - प्रेरक कहानी जुग https://raymondofyhn.vblogetin.com/35327207/the-fact-about-shiv-chalisa-lyrics-aarti-that-no-one-is-suggesting